शिक्षा ऐसी हो जो हमें हमारी जड़ों से जोडक़र रखें : प्रो. कोहली

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शिक्षा ऐसी हो जो हमें हमारी जड़ों से जोडक़र रखें : प्रो. कोहली

चंडीगढ़ ; आरके शर्मा /करण शर्मा / एनके धीमान ;—- गुजरात के राज्यपाल प्रो. ओमप्रकाश कोहली ने कहा कि यदि व्यक्ति में राष्ट्रभाव मजबूत होगा तो देश स्वत: मजबूत हो जाएगा, यह भावना लोगों में अवश्य होनी चाहिए। जब यह भाव जनता में आएगा तो वह एकात्म मानव दर्शन की ओर उसका बढ़ता हुआ एक कदम होगा।
प्रो. कोहली रविवार को चंडीगढ़ के सेक्टर 37 स्थित लॉ भवन में पंचनद शोध संस्थान के 25 वें वार्षिक व्याख्यान में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें अविभाजन में जाना है, जिसे कोई तोड़ न सके। दीनदयाल उपाध्याय हमेशा यही कहते थे कि मैं और आप एक हो जाएंगे तो सभी झगड़े अपने आप समाप्त हो जाएंगे। आज व्यक्ति और समाज में टकराव है, यह टकराव नहीं होना चाहिए। कम्यूनिजम में व्यक्ति को प्रधानता दी गई और इतिहास इस बात का साक्षी है कि उसमें कितने लोगों की हत्याएं हुई वह भी किसी से नहीं छिपा है।
प्रो. ओमप्रकाश कोहली ने कहा कि भारत की संस्कृति में यह बातें हैं कि धरती हमारी माता है, पेड़ मत कांटो, चींटी को आटा डालो, हमेशा पूर्ण का विचार करो, इसके अलावा हमारी अर्थव्यवस्था सहयोगवादी होनी चाहिए, जो एकात्म की ओर केंद्रीत हो। अर्थव्यवस्था का विकेंद्रीकरण होना चाहिए। पूंजीवाद और समाजवाद केंद्रीयकरण में विश्वास रखते हैं, इसलिए वे कामयाब नहीं हुए। आज सबसे जरूरी है कि सेल्फ हेल्फ एंप्लाई सेक्टर को विकसित किया जाए,विकेंद्रीकरण होना चाहिए, इसके बाद स्वेदशीकरण होना चाहिए तथा व्यक्ति को पर्यावरण स्नेही होना चाहिए।
प्रो. कोहली ने कहा कि हमनें पर्यावरण स्नेही तरीके से ही उत्पादन करना चाहिए। यदि हम पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर उत्पादन करेंगे तो वह भी ठीक नहीं है। आज जलवायु परिवर्तन पर गोष्ठियां हो रही हैं, क्योंकि हमारा पर्यावरण असंतुलित हो रहा है। बेमौसमी बरसात, कभी बारिस अधिक होना तो कभी बारिस बिल्कुल नहीं होना, आज यह सब चिंता का विषय बने हुए हैं।
गुजरात के राज्यपाल प्रो. ओमप्रकाश कोहली ने कहा कि मैं और पर्यावरण एक होना चाहिए। यदि कहीं विकास कार्यों के लिए पेड़ काटे जा रहे हैं तो पेड़ लगाए भी जाने चाहिएं। इसलिए आज लघु और कुटीर उद्योगों को बल दिया जाना आवश्यक है। प्रो. कोहली ने महात्मा गांधी और दीनदयाल उपाध्याय के बारे में विस्तार से बताया कि उन्होंने कैसे कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए जोर दिया था। उन्होंने कहा कि एकात्म मानव दर्शन की ओर बढ़ेंगे तो इसके बाद सभी झगड़े अपने आप में समाप्त हो जाएंगे।
उन्होंने कहा कि आज की शिक्षा हमें लोगों से दूर कर रही है। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए कि जो लोगों के साथ जोडक़र रख सके। आज की शिक्षा में करूणा का अभाव है, जबकि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए की जो हमें हमारी जड़ों से हमेशा के लिए जोडक़र रख सकें। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति जिस धर्म से है, उस धर्म की जो भाषा है, उसका जरूर ज्ञान होना चाहिए। हिंदू धर्म की सारी पुस्तकें संस्कृत में हैं, इसलिए इस भाषा से जुड़ाव अवश्य होना चाहिए। हर व्यक्ति को अधिक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए, कम से कम हर व्यक्ति को अपनी प्रादेशिक भाषा, राष्ट्रभाषा, पड़ोसी राज्य की भाषा और एक और भाषा का जरूर ज्ञान होना चाहिए और अंगे्रजी भाषा का भी ज्ञान हो तो भी कोई हर्ज नहीं होना चाहिए। उन्होंने कुछ संस्कृत के दोहे भी सुनाए जब वे यह बोल रहे थे तो यह लग रहा था कि यहां कोई आध्यात्मिक भाषण हो रहा है। उनके भाषण में राष्ट्रवाद की बातें कूट कूट कर भरी हुई थी।
पंचनद शोध संस्थान के निदेशक एवं माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. ओमप्रकाश कोहली के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम में पंचनद शोध संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डा. कृष्ण सिंह आर्य, शिक्षा सुधार आंदोलन के पुरोधा दीनानाथ बतरा, वाईएमसीए यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. दिनेश कुमार, दिल्ली टेक्रिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. योगेश कुमार,सेंट्रल यूनिवर्सिटी हिमाचल प्रदेश के कुलपति डा. कुलदीप अग्रिहोत्री, गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर सचदेवा, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में हरियाणा के अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश श्यारोण, दीपक मनचंदा, पंचनद शोध संस्थान के टे्रजरार राकेश शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार अजय भारद्वाज, अशोक मलिक के अलावा भारी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार दीपक वशिष्ठ ने किया।
प्रो. कोहली के भाषण के बाद जिज्ञासा समाधान का एक कार्यक्रम हुआ, भाषण सुनने आए लोगों ने प्रो. कोहली से कई सवाल पूछे, ज्यादातर सवाल एकात्म मानव दर्शन पर ही केंद्रित थे। प्रो. कोहली ने कहा कि स्वदेशीकरण पर ज्यादा से ज्यादा काम होना चाहिए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि राज्यपालों से राजनीति के प्रश्र नहीं पूछने चाहिए, जब एक श्रोता ने उनसे यह पूछ लिया था कि केंद्र सरकार स्वदेशीकरण की दिशा में कितना काम कर रही है। इस पर कोहली ने कहा कि स्वदेशीकरण पर ज्यादा से ज्यादा बल दिया जाना चाहिए। एकात्म मानव दर्शन पर एक दो व्यक्ति के सवाल ज्यादा दाशर्निक थे तो उन्होंने उनके भी अच्छे से जवाब दिए, और कहा कि व्यक्ति में राष्ट्रीयता की भावना कूट कूट कर भरी होनी चाहिए।