बरनाला, 1 नवम्बर (अखिलेश बंसल/विपन गुप्ता। ) डा. बी.आर.आंबेदकर शकॉलरशिप गर्वनमेंट आफ पंजाब से वजीफा लाभ लेना तो दूर की बात आवेदन करने के लिए भी दर्जनों बच्चे वंचित रह गए हैं। जिसको लेकर पीडि़त बच्चों के परिजनों ने शिक्षण संस्थानों के प्रबन्धकों को दोषी बताया है।
यह बताया मामला:
डा. बी.आर.आंबेदकर शकॉलरशिप गर्वनमेंट आफ पंजाब की वैबसाईट पिछले दस दिनों से बन्द चली आ रही थी। जिसमें बच्चों को वजीफा लाभ दिलाने को आवेदन करने के लिए पहले 25 अक्तूबर 2017 तारीख निशिचित की थी। उसके बाद 31 अक्तूबर कर दी थी। जिसकी अवधी मात्र एक दिन ही थी, यानि वैबसाइट 31 की सायं ही बन्द हो जानी थी। गौर हो कि उसे अनलॉक करने की जिम्मेवारी
संबंधित शैक्षणिक संस्थाओं की थी। लेकिन अग्रिम तौर पर जानकारी नहीं देने के चलते आवेदन करने के लिए दर्जनों बच्चे वंचित रह गए हैं।
प्रबन्धों की कमी से बेहोश तक हो गए बच्चे:
बरनाला के एक कालेज में वजीफा के लिए आवेदन करने पहुंची छात्राओं ने बिना नाम बताए कहा कि एक लडक़ी बारी की इंतजार के लिए लाइन में खड़ी थी को दोबार चक्कर आ गया। प्रबन्धकों द्वारा
एडवांस तौर पर जानकारी तो क्या देनी थी, टोकन सिस्टम व पानी तक का इंतजाम नहीं किया गया। उन्होंने बताया किवजीफा लाभ लेने के लिए जो आवेदन करना था उसके लिए जो जो दस्तावेज ऑनलाइनअपलाई करने थे, यदि पहले से बताया होता तो सभी आवेदनकर्ता बच्चे अपनी-अपनी पैन ड्राईव लेकर पहुंचते और 1/4 (चौथाई) समय में सारा काम निपट सकता था। आरोप लगाया कि किसी भी आवेदनकर्ता को प्रबन्धकों की ओर से नहीं बताया गया कि आवेदन करने के लिए आधार कार्ड, जाती सर्टीफिकेट, आमदन सर्टीफिकेट, +2 का सर्टीफिकेट समेत किसी दस्तावेज लाने को जानकारी नहीं दी गई।
अविभावकों ने दी चेतावनी:- पीडि़त बच्चों के परिजनों ने शिक्षण संस्थानों के प्रबन्धकों को दोषी
ठहराया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि वे अपनी जाती से संबंधित आयोग का खटखटाएंगे। आयोग से शिक्षण संस्थानों के लापरवाह प्रबन्धकों (प्रधान/सचिव/प्रिंसीपल) आदि को तुरन्त हटाने और वहां सरकारी तौर पर प्रबन्धक तैनात करने एवं हर जाती के बुद्धिजीवियों को कार्यभार सौंपने की गुहार लगाएंगे।
बरनाला, 1 नवम्बर (अखिलेश बंसल/विपन गुप्ता। ) डा. बी.आर.आंबेदकर शकॉलरशिप गर्वनमेंट आफ पंजाब से वजीफा लाभ लेना तो दूर की बात आवेदन करने के लिए भी दर्जनों बच्चे वंचित रह गए हैं। जिसको लेकर पीडि़त बच्चों के परिजनों ने शिक्षण संस्थानों के प्रबन्धकों को दोषी बताया है।
यह बताया मामला:
डा. बी.आर.आंबेदकर शकॉलरशिप गर्वनमेंट आफ पंजाब की वैबसाईट पिछले दस दिनों से बन्द चली आ रही थी। जिसमें बच्चों को वजीफा लाभ दिलाने को आवेदन करने के लिए पहले 25 अक्तूबर 2017 तारीख निशिचित की थी। उसके बाद 31 अक्तूबर कर दी थी। जिसकी अवधी मात्र एक दिन ही थी, यानि वैबसाइट 31 की सायं ही बन्द हो जानी थी। गौर हो कि उसे अनलॉक करने की जिम्मेवारी
संबंधित शैक्षणिक संस्थाओं की थी। लेकिन अग्रिम तौर पर जानकारी नहीं देने के चलते आवेदन करने के लिए दर्जनों बच्चे वंचित रह गए हैं।
प्रबन्धों की कमी से बेहोश तक हो गए बच्चे:
बरनाला के एक कालेज में वजीफा के लिए आवेदन करने पहुंची छात्राओं ने बिना नाम बताए कहा कि एक लडक़ी बारी की इंतजार के लिए लाइन में खड़ी थी को दोबार चक्कर आ गया। प्रबन्धकों द्वारा
एडवांस तौर पर जानकारी तो क्या देनी थी, टोकन सिस्टम व पानी तक का इंतजाम नहीं किया गया। उन्होंने बताया किवजीफा लाभ लेने के लिए जो आवेदन करना था उसके लिए जो जो दस्तावेज ऑनलाइनअपलाई करने थे, यदि पहले से बताया होता तो सभी आवेदनकर्ता बच्चे अपनी-अपनी पैन ड्राईव लेकर पहुंचते और 1/4 (चौथाई) समय में सारा काम निपट सकता था। आरोप लगाया कि किसी भी आवेदनकर्ता को प्रबन्धकों की ओर से नहीं बताया गया कि आवेदन करने के लिए आधार कार्ड, जाती सर्टीफिकेट, आमदन सर्टीफिकेट, +2 का सर्टीफिकेट समेत किसी दस्तावेज लाने को जानकारी नहीं दी गई।
अविभावकों ने दी चेतावनी:- पीडि़त बच्चों के परिजनों ने शिक्षण संस्थानों के प्रबन्धकों को दोषी
ठहराया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि वे अपनी जाती से संबंधित आयोग का खटखटाएंगे। आयोग से शिक्षण संस्थानों के लापरवाह प्रबन्धकों (प्रधान/सचिव/प्रिंसीपल) आदि को तुरन्त हटाने और वहां सरकारी तौर पर प्रबन्धक तैनात करने एवं हर जाती के बुद्धिजीवियों को कार्यभार सौंपने की गुहार लगाएंगे।