छात्रावास बंद: सडक़ पर छात्राएं राजपुर क्षेत्र की छात्राओं ने की कलेक्ट्रेट तक की परेड

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अशोकनगर। राज्य शिक्षा केन्द्र की मनमानी के कारण राजपुर में संचालित हो रहा आवासीय छात्रावास बंद किया जा रहा है। इसका विरोध करने के लिए छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर रहीं छात्राएं सोमवार को कलेक्ट्रेट पहुंची। दु:खी और निराश नजर आ रहीं छात्राओं का कहना था कि वे पढ़ाई छोड़ देंगीं लेकिन पिपरई नही जाएंगी। दरअसल जिला शिक्षा केन्द्र राजपुर में संचालित हो रहे छात्रावास को पिपरई छात्रावास में समाहित कर रहा है। राजपुर में वर्ष 2011-12 में दो किराए के भवन में छात्रावास संचालित होता था। बाद में 98 लाख रुपये की लागत से छात्रावास का भवन तैयार किया गया था। यहां रहकर पढ़ाई कर रहीं छात्राएं सोनम और भारती सेमरा की रहने वाली हैं जबकि प्रियंका और ज्योति कूढ़ई की है। जो कि राजपुर से करीब 10-12 किमी दूर स्थित गांव हैं। इन छात्राओं का कहना था कि हमारे गांव से पिपरई करीब 50-60 किमी दूर है इस लिए पढ़ाई छोड़ देंगीं लेकिन इतने दूर नही जाएंगे। छात्राओं के साथ आए अविभावक अशोक सिंह, लखन, शिवचरण, अमर लाल, मुकेश, रामकुमार, सुखलाल, जसवंत, मालम, भूरा, सुरेन्द्र, गोपाल, महेन्द्र सिंह आदि ने बताया कि राजपुर स्थित बालिका छात्रावास को बंद न किया जाए। यहां पर सर्वसुविधायुक्त भवन भी बन चुका है। साथ ही इस ग्रामीण क्षेत्र में बालिकाओं की शिक्षा में यह आवासीय छात्रावास महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। छात्राओं और अभिभावकों ने छात्रावास को स्थानान्तरण न करके राजपुर में ही संचालित करने हेतु एक ज्ञापन कलेक्ट्रेट और जिला पंचायत में दिया है।
जिला शिक्षा केन्द्र ही बदल रहा है छात्रावास:
जिला शिक्षा केन्द्र के अधिकारियों का कहना है कि छात्रावासों को समाहित करने के निर्देश राज्य शिक्षा केन्द्र से मिले हैं। जबकि सही तथ्य यह है कि राज्य शिक्षा केन्द्र ने निर्देश दिए थे जिलों में 50 एवं 100 सीटर छात्रावास स्वीकृति एवं भवन की उपलब्धता अनुसार संचालित किए जाएं। जिले में पिपरई, राजपुर, बढ़ैरा और राजपुर में 50 सीटर छात्रावास संचालित किए जा रहे थे। अब डीपीसी ने राजपुर को पिपरई और नईसरांय छात्रावास को बढ़ेरा में स्थानान्तरण कर दिया है। इससे पिपरई और बढ़ैरा में तो 100 सीटर छात्रावास संचालित होंगे लेकिन राजपुर और नईसरांय के छात्रावास समाप्त हो जाएंगे। अगर यहां छात्रावास स्वीकृत नहीं है तो फिर पहले यहां छात्रावास किन नियमों के तहत संचालित हो रहे थे और अगर 50 सीटर छात्रावास की स्वीकृति राजपुर-नईसरांय में है तो फिर उन्हें समाप्त क्यों किया जा रहा है? इसका जबाव शिक्षा अधिकारी देने में टालमटोल कर रहे हैं। नईसरांय में भवन न होने के कारण वहां का स्थनान्तरण तो जैसे तैसे अभिभावक मान भी लेंगे लेकिन राजपुर में भवन की उपलब्धता के बावजूद भी छात्रावास का बंद होना अभिभावकों के गले नही उतर रहा है।