श्री प्रेम धाम में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन श्री श्री 108 मुकेशानंद गिरी जी महाराज के सान्धिय में किया गया। श्री प्रेम दाम संकीर्तन मंडल की तरफ से गणेश वंदना के उच्चारण के साथ आरम्भ हुई सत्संग सभा में प्रवचनों व भजनों की बहती गंगा में भक्तों ने स्नान कर जीवन सफल बनाया। मुकेशानंद गिरी जी ने सांसारिक ज्ञान की प्राप्ति के लिए दुनियावी किताबों व आध्यात्मिक ज्ञान के लिए प्रभु नाम से भरपूर किताबों का ज्ञान आवश्यक बताते हुए कहा कि सांसारिक ज्ञान की किताबें बजारों मे खुली दुकानों पर आसानी से उपलब्ध हो जाती है। मगर प्रभु नाम रुपी ज्ञान हासिल करने के लिए किताबें आपको अपने भीतर स्थापित हृदय रुपी लेखक से ही खरीदनी होंगी। अपने हृदय पर लिखे ज्ञान को पढऩे की विधियों से अवगत करवाते हुए उन्होने कहा कि दुनियावी किताबों को पढऩे के लिए बुद्धि, दिमाग व आंखो की रोशनी की जरुरत होती है। मगर हृदय रुपी किताब को आंखों वाला ही नहीं बल्कि अंधा भी पढ़ सकता है। यह किताब कागज की नहीं है। इस किताब के लेखक सृष्टि का रचनाकार है। इसे पढऩे से आत्मिक तृप्ति व आनंद ही आनंद प्राप्त होगा। इस अवसर पर बाबा गोपाल दास,बाबा दीपक,नरिंदर गुप्ता,मनमोहन मित्तल,प्रेम सिंगला,सुदेश गोयल,रवि गोयल,विनोद गोयल,रमेश बांसल,अनिल धमीजा,राजन मोदी,यतिन गाबा,सुमित गोयल,चेतन मरवाहा,यशपाल गुप्ता,महेश सिंगला,चमन लाल,रोबिन मित्तल,दिनेश अरोड़ा,दविंदर कुमार,हरिचंद वर्मा इत्यादि उपस्थित थे
श्री प्रेम धाम में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन श्री श्री 108 मुकेशानंद गिरी जी महाराज के सान्धिय में किया गया। श्री प्रेम दाम संकीर्तन मंडल की तरफ से गणेश वंदना के उच्चारण के साथ आरम्भ हुई सत्संग सभा में प्रवचनों व भजनों की बहती गंगा में भक्तों ने स्नान कर जीवन सफल बनाया। मुकेशानंद गिरी जी ने सांसारिक ज्ञान की प्राप्ति के लिए दुनियावी किताबों व आध्यात्मिक ज्ञान के लिए प्रभु नाम से भरपूर किताबों का ज्ञान आवश्यक बताते हुए कहा कि सांसारिक ज्ञान की किताबें बजारों मे खुली दुकानों पर आसानी से उपलब्ध हो जाती है। मगर प्रभु नाम रुपी ज्ञान हासिल करने के लिए किताबें आपको अपने भीतर स्थापित हृदय रुपी लेखक से ही खरीदनी होंगी। अपने हृदय पर लिखे ज्ञान को पढऩे की विधियों से अवगत करवाते हुए उन्होने कहा कि दुनियावी किताबों को पढऩे के लिए बुद्धि, दिमाग व आंखो की रोशनी की जरुरत होती है। मगर हृदय रुपी किताब को आंखों वाला ही नहीं बल्कि अंधा भी पढ़ सकता है। यह किताब कागज की नहीं है। इस किताब के लेखक सृष्टि का रचनाकार है। इसे पढऩे से आत्मिक तृप्ति व आनंद ही आनंद प्राप्त होगा। इस अवसर पर बाबा गोपाल दास,बाबा दीपक,नरिंदर गुप्ता,मनमोहन मित्तल,प्रेम सिंगला,सुदेश गोयल,रवि गोयल,विनोद गोयल,रमेश बांसल,अनिल धमीजा,राजन मोदी,यतिन गाबा,सुमित गोयल,चेतन मरवाहा,यशपाल गुप्ता,महेश सिंगला,चमन लाल,रोबिन मित्तल,दिनेश अरोड़ा,दविंदर कुमार,हरिचंद वर्मा इत्यादि उपस्थित थे