अशोकनगर 27 जून (अजय) शनिवार को राजस्व विभाग ने बरखेड़ी में अतिक्रमण हटाने के लिए
मकानों पर जेसीबी चलाई। इस दौरान 11 आशियाने जमींदोज किए गए। जब मकान
तोड़े जा रहे थे तब कार्रवाई का विरोध कर रहे कुछ लोगों ने पथराव कर वाधा
डालने की कोशिश की। जिसे पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करके काबू में कर
लिया।
बरखेड़ी में स्थित शासकीय भूमि पर छात्रावास एवं शासकीय क्वाटर बनना है।
इसके लिए यहां मकान बनाकर रह रहे 11 परिवारों को हटाने के लिए दोपहर में
राजस्व अमला बरखेड़ी पहुंचा। अमले में तहसीलदार आलोक वर्मा, नायव
तहसीलदार, पटवारी दोजाराम शामिल थे। मौके पर पहुंची जेसीबी मशीन ने जैसे
ही मकानों को तोडऩे की कोशिश की तो कुछ लोगों ने ईंट और पत्थरों से हमला
कर दिया। मौके पर मौजूद कोतवाली पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करके विरोधियों
को शांत किया।
20 वर्ष से काबिज हटने नही दिया मौका:
जिन लोगों के मकान तोड़े गए हैं उनमें हरिओम पुत्र हजरत कुर्मी,
शांतिबाई, सुमन पत्नि राजकुमार, कैलाश पुत्र बाबूलाल आदि हैं। इन्होंने
बताया कि हम इस जमीन पर करीब 20 साल से रह रहे हैं। हटाने से पहले नोटिस
तक नही दिया गया है और अचानक जेसीबी चला दी गई है। कुछ लोगों का कहना था
कि छात्रावास का निर्माण पास वाली भूमि में होना था। लेकिन उक्त जमीन पर
शहर के एक रहीस व्यक्ति का कब्जा है। इस लिए हम गरीबों के घर तोड़े जा
रहे हैं।
बारिश में ही आती है अतिक्रमण हटाने की सुध:
एक ओर शासन प्रशासन कार्रवाई में पारदर्शिता के साथ ही संवेदनशील होने की
दुहाई देता रहता है। दूसरी ओर विभिन्न विभागों में बैठे जिम्मेदार
अधिकारी संवेदनशीलता और मानवीयता जैसे पहलुओं को नजर अंदाज कर देते हैं।
अतिक्रमण हटाने के लिए राजस्व विभाग ने ठीक मानसून के आने के समय को ही
चुना है। जिन लोगों के आशियाने ढहा दिए गए हैं उनकी घर गृहस्थी का सामान
और बाल बच्चे खुले आसमान में खेतों में पड़े हैं। प्रशासन इन्हें यहां से
भी खदेड़ देगा लेकिन इस बीच अगर बारिश आती है तो इन परिवारों के सामने
दोहरी मुसीबत खड़ी हो जाएगी। ज्यादातर परिवार मजदूरी करके जीविका चलाते
हैं। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष भी राजस्व विभाग ने ठीक बारिश के दौरान इसी
जगह से अतिक्रमण हटाया गया था।
दुवारा हटाने की नौबत क्यों?
गत वर्ष अतिक्रमण हटाने के बाद इस वर्ष फिर बरखेड़ी पर अतिक्रमण हटाने के
लिए जेसीबी मशीन का प्रयोग करना पड़ा। ये नौबत क्यों आई? इसका जबाव भी
प्रशासन और विभागीय अधिकारी नही दे पाएंगे। गत वर्ष अतिक्रमण हटाने के
बाद उक्त भूमि पर न तो निर्माण कार्य कराया गया और न ही इस ओर कदम उठाया
गया कि दुवारा अतिक्रमण न हो। बारबार मकान तोडऩे से अतिक्रमणकर्ता उग्र
भी हो सकते हैं। ऐसे में जन-हानि की आशंका से भी इंकार नही किया जा सकता
है। अगर ऐसा होता है तो शासन प्रशासन के लिए यह मामला गले की हड्डी बन
सकता है।
अशोकनगर 27 जून (अजय) शनिवार को राजस्व विभाग ने बरखेड़ी में अतिक्रमण हटाने के लिए
मकानों पर जेसीबी चलाई। इस दौरान 11 आशियाने जमींदोज किए गए। जब मकान
तोड़े जा रहे थे तब कार्रवाई का विरोध कर रहे कुछ लोगों ने पथराव कर वाधा
डालने की कोशिश की। जिसे पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करके काबू में कर
लिया।
बरखेड़ी में स्थित शासकीय भूमि पर छात्रावास एवं शासकीय क्वाटर बनना है।
इसके लिए यहां मकान बनाकर रह रहे 11 परिवारों को हटाने के लिए दोपहर में
राजस्व अमला बरखेड़ी पहुंचा। अमले में तहसीलदार आलोक वर्मा, नायव
तहसीलदार, पटवारी दोजाराम शामिल थे। मौके पर पहुंची जेसीबी मशीन ने जैसे
ही मकानों को तोडऩे की कोशिश की तो कुछ लोगों ने ईंट और पत्थरों से हमला
कर दिया। मौके पर मौजूद कोतवाली पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करके विरोधियों
को शांत किया।
20 वर्ष से काबिज हटने नही दिया मौका:
जिन लोगों के मकान तोड़े गए हैं उनमें हरिओम पुत्र हजरत कुर्मी,
शांतिबाई, सुमन पत्नि राजकुमार, कैलाश पुत्र बाबूलाल आदि हैं। इन्होंने
बताया कि हम इस जमीन पर करीब 20 साल से रह रहे हैं। हटाने से पहले नोटिस
तक नही दिया गया है और अचानक जेसीबी चला दी गई है। कुछ लोगों का कहना था
कि छात्रावास का निर्माण पास वाली भूमि में होना था। लेकिन उक्त जमीन पर
शहर के एक रहीस व्यक्ति का कब्जा है। इस लिए हम गरीबों के घर तोड़े जा
रहे हैं।
बारिश में ही आती है अतिक्रमण हटाने की सुध:
एक ओर शासन प्रशासन कार्रवाई में पारदर्शिता के साथ ही संवेदनशील होने की
दुहाई देता रहता है। दूसरी ओर विभिन्न विभागों में बैठे जिम्मेदार
अधिकारी संवेदनशीलता और मानवीयता जैसे पहलुओं को नजर अंदाज कर देते हैं।
अतिक्रमण हटाने के लिए राजस्व विभाग ने ठीक मानसून के आने के समय को ही
चुना है। जिन लोगों के आशियाने ढहा दिए गए हैं उनकी घर गृहस्थी का सामान
और बाल बच्चे खुले आसमान में खेतों में पड़े हैं। प्रशासन इन्हें यहां से
भी खदेड़ देगा लेकिन इस बीच अगर बारिश आती है तो इन परिवारों के सामने
दोहरी मुसीबत खड़ी हो जाएगी। ज्यादातर परिवार मजदूरी करके जीविका चलाते
हैं। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष भी राजस्व विभाग ने ठीक बारिश के दौरान इसी
जगह से अतिक्रमण हटाया गया था।
दुवारा हटाने की नौबत क्यों?
गत वर्ष अतिक्रमण हटाने के बाद इस वर्ष फिर बरखेड़ी पर अतिक्रमण हटाने के
लिए जेसीबी मशीन का प्रयोग करना पड़ा। ये नौबत क्यों आई? इसका जबाव भी
प्रशासन और विभागीय अधिकारी नही दे पाएंगे। गत वर्ष अतिक्रमण हटाने के
बाद उक्त भूमि पर न तो निर्माण कार्य कराया गया और न ही इस ओर कदम उठाया
गया कि दुवारा अतिक्रमण न हो। बारबार मकान तोडऩे से अतिक्रमणकर्ता उग्र
भी हो सकते हैं। ऐसे में जन-हानि की आशंका से भी इंकार नही किया जा सकता
है। अगर ऐसा होता है तो शासन प्रशासन के लिए यह मामला गले की हड्डी बन
सकता है।