लघु कथा ’’’’तोहफा’’’’
अवस्थी जी के पेड़ो को कटवाने
की बात देख उनकी बेटी
नंदिनी आखिर उनसे पूछ ही
बैठी ष्पापा ! क्यों कटवाना चाहते है आप अपने बाग़ के
पेड़ो कोघ्
इस पर अवस्थी ने हँसते हुये बोले ष् अरे
नंदिनी बेटे एक बड़ी। पार्टी ह
। जो हमारे बाग़। वाली जमींन दो गुने दाम में
खरीदना चाहती ह । वो लोग
फैक्ट्री लगाना चाहते हैं हमारी
जमींन में ।
हमारी जमींन के तो मानो भाग
ही खुल गए । अरे नंदिनी बेटा आज मै
वहुत खहश हूँ ।
ष् वो तो। मै देख ही रही हूँ पापा ण्ण्ण्ण्पापा
पैसे के लालच में आप तो। ये। भी भूल गए। के इन
पेड़ो की छाँव में बेचारे कितने। मजदुर सुस्ताकर सुकून
पाते है ण्ण्ण्ण्
और हर साल जो। इन। पेड़ो से हमें जी आम और
अमरुद खाने के सस्थ .साथ बेचकर आमदनी
भी होती है ।
क्यू सोने का अंडा देने वाली मुर्गी
की तरह आप हमारे बाग़ खोना चाहते हैं पापा ण्ण्ण्बोलो
पापा ! आखिर क्या कमी है हमारे पास पेसो
की घ् ष् नंदिनी के स्वर में आक्रोश भरा था
।।
ष्अरे ! नंदिनी बेटे तू तो नाराज ही
ही गई । मै ये सब तेरी ख़ुशी
के किये ही तो कर रहा हूँ मुझे तेरी
शादी। में गाडी भी तो।
देनी। ह ना घ्ष्
ष्किसने मांगी आपसे गाडी पापा ! क्या राघव
जे घर। वालो ने आपसे ऐसा कुछ कहा घ्ष्
ष्नहीं बेटा ! तू तो। नाहक ही परेशान हो।
रही है ण्ण्एएअरे तू हमारी
एकलौती बेटी है तोएण्ष्
ण्ण्ण्अवस्थी जी अपनी बात
पूरी करते के इससे पहले ही
नंदनी बिच में बोल उठी ।
ष् आआपा मुझे। ना तो शादी में गाडी। चाहिये
और ना हीऔर कोई कीमती
सामान ।
हा !अगर आप मुझे कुछ देना ही चाहते है तो मुझसे
एक वादा करो ण्एण्एए के आप हमारे बाग नही बेचेगे
ण्एएण्एऔर हर साल मेरी ससुराल मे बस आम एअमरुद
भेजा करेगे ण्ण्एबस! यही दहेज चाहिए मुझे आपसे पापा
।ष् कहते कहते ननदिनि की आँख भर आई ।।
बस!मुझे ये तोहफा देगे ना पापा घ्घ्घ्आज जहाँ हमारा देश हरित
करानति की बात कर रहा है एण्वहीं आप
कुछ पैसो के लिए अपने हरे भरे बाग बेच देना चाहते हैं ।।ष्
अवसथी जी की आँख भर
आई और उनहे अपनी गलती का अह
सास हो गया ।।
सविता वर्मा “गज़ल ”