श्रीमद् भागवत एवं संस्कृत के ज्ञान की नींव रखने वाले शिक्षकों का सम्मान

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फिरोजाबाद। शब्दम् द्वारा ब्रजभूमि वृंदावन स्थित धानुका आश्रम में विशिष्ट शिक्षक सम्मान समारोह एवं ‘शिक्षक मूलतः चरित्र निर्माता है’ विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया। कार्यक्रम का प्रारम्भ वाग्देवी के चित्र का माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। इस अवसर पर शब्दम् अध्यक्ष किरण बजाज के संदेश में कहा गया कि आधुनिक वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्र में पश्चिमी जगत ने जो महान उपलब्धियाँ प्राप्त कर ली हैं, उनका जवाब नहीं, लेकिन नैतिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में भारत ने जो आदर्श और उदाहरण प्रस्तुत कर दिये थे, उनकी समता आज भी पश्चिम नहीं कर सका है। सम्मान समारोह में शिक्षक मूलत; चरित्र निर्माता हैं विषय पर वक्तव्य देते हुए विद्वान पं. राजाराम मिश्र ने कहा कि शि़क्षकों का मौलिक चिंतन चरित्र निर्माण के सम्बन्ध में कार्य करना होना चाहिए। वृद्धि हो रही है और सतो गुण का नाश हो हो रहा है इसलिए मन विकृत हो जाता है। विद्वान डाॅ. अत्युतलाल भट्ट ने कहा कि जो विद्या के लिए, समाज के लिए, मूल्य के लिए समर्पित वही मूलत; शिक्षक है। समाज का कर्तव्य है विद्या को ज्ञान को, महती चेतना को सम्मान प्रदान करें।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रह उमाशंकर शर्मा ने शब्दम की ओर से शिक्षकों का सम्मान एवं इन विद्वानो द्वारा शिक्षक मूलत; चरित्र निर्माता है विषय पर अपने सारगर्भित विचार प्रस्तुत कर हमारा मागर््ादर्शन किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. महेश आलोक हिन्दी विभागाध्यक्ष नारायण महाविद्यालय, शिकोहाबाद एवं धन्यवाद ज्ञापन शब्दम सलाहकार मंडल के वरिष्ठ सदस्य उमाशंकर शर्मा ने दिया। शब्दम् अध्यक्ष का संदेश शब्दम् के वरिष्ठ सलाहकार अरविन्द तिवारी ने दिया। कार्यक्रम में मनमोहन गोस्वामी धानुका कोठी एवं बजाज इलेक्ट्रीकल्स कोसी फैक्ट्री के राधेश्याम का सहयोग रहा।