सोन चिरैया के नाम पर हर साल 10 करोड़ रूपये फर्र।

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ग्वालियर। २३ सितम्बर [सी एन आई सोन चिरैया आखिरी बार 2011 में दिखाई दी थी, इस पक्षी की हलचल न करैरा में हैं न घाटीगांव में लेकिन वन विभाग के अफसर सालाना 10 करोड़ की रकम के बारे-न्यारे अधिकारी खोज के नाम पर कर रहे हैं। हियरिंग एड्स कैमरे और स्क्वाइड घाटीगांव एवं अन्य क्षेत्रों में लगाये गये हैं। 200 कि.मी. क्षेत्र में तारफैसिंग की जा रही है। इस काम के लिये लगभग 5 करोड़ खर्च करने की तैयार है। मगर सोन चिरैया कहां हैं। अधिकारियों और वन विभाग का अंदाजा है कि सोन चिरैया राजस्थान के फलौदी पोखरन, मोहनगढ़, रामगढ़ की सेंचुरी में जा सकती है। सोन चिरैया के स्थाई आवास के लिये 200 कि.मी. क्षेत्र को जीआईबी सेंचुरी के नाम से 1981 में विकसित किया गया तब से इस क्षेत्र के किसान जिंदा आदमी परेषान हैं, उनके बच्चों की शादियां, जमींन का क्रय-विक्रय आदि सब में बाधा आ रही है। लेकिन अधिकारियों के लिये सोन चिरैया के नाम पर 10 करोड़ रूपये हर साल जनता का पैसा खर्च करने का शगल बन चुका है। कैग की रिपोर्ट में भी खुलासा हुआ है कि 2012-13 में इस चिडि़या का नामुनिषान नहीं रहा, लेकिन 60 से ज्यादा अफसर और कर्मचारियों की फौज हर साल करोड़ों के बजट को ठिकाने लगा रही है, देखरेख और भोजन के लिये 56 लाख रूपये हर माह खर्च होते हैं।ghotala1 hindi