नीमच – 17 दिसम्बर ( गोपालदास बैरागी) – जिले में पालसोडा से पिपलियाव्यास तक 5 साल पूर्व मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना प्रदेश सरकार ने कुछ चलाई लेकिन डामरीकरण अब तक नहीं हो सका। जिससे अभी तक रोड दुर्दशा का शिकार है। इसका खामियाजा प्रत्यक्ष रूप से पालसोड़ा गांव के ग्रामीणवासियों को भुगतना पड़ रहा है। इससे क्षेत्र के ग्रामीणों में प्रदेश सरकार और शासन के जिम्मेदारों के प्रति आक्रोश है। जिले में पालसोड़ा इस गांव के मार्ग की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। जिला मुख्यालय से पालसोड़ा गांव की दूरी 20 किलोमीटर है । पालसोड़ा गांव को आवागमन की सुविधा प्रदान करने के लिए पिपलिया व्यास से माल्या बामनिया और केलूखेड़ा तक डब्ल्यूबीएम रोड बनाने का काम स्वीकृत हुआ। काम पूरा भी हो गया, लेकिन मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की बाध्यता के बावजूद पालसोड़ा गांव का 3 किलोमीटर रोड पर अब तक डामरीकरण नहीं हो सका है। कच्ची सडक होने से धूल इतनी की धुल की परत चढ़ जाए। गांव में रहवासी भी मेहमानों के सामने खुद को अपमानित महसूस करेंगे। कुछ इस तरह के हालात में जिले के पालसोड़ा गांव रोड के रहवासी करीब कई वर्षों से अधिक समय से जिंदगी बसर कर रहे हैं। वाहनों की आवाजाही से दिनभर कच्ची सडक पर धूल के गुबार उड़ते रहते हैं। वे धूल-मिट्टी की समस्या से प्रतिदिन कच्चे मार्ग से गुजरते हैं। प्रदेश सरकार और अन्य जिम्मेदार विभाग को कोसते हैं, लेकिन कोई उनकी सुनवाई को तैयार नहीं है। इसके विपरीत धूल-मिट्टी जनजीवन को प्रभावित करने के साथ ग्रामीणवासियों की सेहत पर प्रतिकूल असर भी डाल रही है। नागरिक इस समस्या से आजीज आ चुके हैं। उन्होंने कई जिला प्रशासन और प्रदेश के जिम्मेदारों को आवेदन दिए। बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई। मजबूरन रहवासी धूल-मिट्टी की समस्या के बीच जीवनयापन करने को मजबूर हैं। जिससे ग्रामीणों में आक्रोश है। उन्होंने सुविधा छिनने से नाराजगी जताते हुए प्रदेश के अधिकारियों व जिम्मेदारों को कठघरे में खड़ा किया है। इनका कहना है कि यदि जिम्मेदार समय पर कोशिश करते तो अब तक डामर रोड की सौगात ग्रामीणों को मिल गई होती।