अशोक नगर 24 नवम्बर (अजय शर्मा ) अशोकनगर। जिले में बढ़ती वाहनों की तादात वाहन चालकों और वाहन मालिकों को भारी पड़ रही है। उन्हें वाहनों संबंधी काम काज के लिए परिवहन विभाग में परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है। यहां वाहनों के मालिकों से लेकर वाहन चलाने का शौक रखने वाले युवाओं को सीधे काम करवाने में कई दिक्कतों से गुजरना पड़ रहा है। फिर भी कई दिन बिताने के बाद आखिर काम कराने वाले को निराशा हाथ लगती है। यह परेशानी सिर्फ और सिर्फ इस लिए आती है कि आमजन सीधे काम कराने के लिए पहुंचता है। अगर यही काम दलालों के माध्यम से हो तो न फिर कोई नियम और न कोई दस्तावेज में कमी। काम की गति भी हाथों हाथ होते दिखाई देती है। जिला परिवहन विभाग में पहुंचने वालों की परेशानी सुनने से लगता है कि विभाग में बगैर दलालों के काम नही होते हैं! सोमवार को ऐसी परेशानी से दो चार हो रहे कुछ लोगों ने बताया कि यहां सीधे तौर काम कराने के लिए वह बीते गुरुवार से परेशान हो रहे हैं। जब काम नही हुआ तब आज परेशान होकर दलाल के माध्यम से वाहन चालक का लाइसेंस बनवा पड़ा है। गोलू रघुवंशी नामक युवक ग्राम सोनेरा से आया हुआ था। वह बीते कुछ दिनों से ड्राईवरी लायसेंस के परिवहन विभाग में चक्कर लगा रहा था। जहां उसे विभागीय कर्मचारियों ने हर रोज कोई न कोई खामी आवेदन में बताकर वापस किया जाता रहा। जब परेशानी की हद हो गई तब कहीं सोमवार को हैवी लायसेंस के लिए एक दलाल से 1500 रुपये में बात हुई और दोपहर 3 बजे के बाद लायसेंस बनने की प्रक्रिया चुटकियों में निपट गई। उनका कहना है कि यहां फॉर्म की कमी से लेकर आंखों की जांच सहित लिफापा जैसी कई कमियां बताकर लौटा दिया जाता है। शासन द्वारा परिवहन विभाग में सिंगल बिण्डो के तहत आसान प्रक्रिया परिवहन कार्य में करने का दावा किया जाता है। मगर जिले के परिवहन विभाग में बगैर दलालों के काम करना टेढ़ा काम होता है। यहां कार्यालय के आसपास कई दलाल मौजूद रहते हैं। जिनके माध्यम वाहन चालक लायसेंस, वाहनों संबंधी कार्य आसानी होते हैं।
महंगा पड़ रहा लायसेंस का शौक:
जिले के युवाओं को को वाहन चलाने का लायसेंस बनवाना महंगा पड़ रहा है। यहां परिवहन विभाग के इर्द गिर्द मिलने वाले दलालों के माध्यम से परेशान युवाओं को दलालों की निर्धारित सेवा शुल्क चुकाने के बाद ही लायसेंस बन पा रहे हैं। दलालों ने भी अपनी दरें निर्धारित कर रखी हैं। जिनमें लर्निंग लायसेंस से लेकर, हैवी लायसेंस और वाहन संबंधी कार्यों की राशि जरूरतमंदों से ली जा रही है। परिवहन विभाग में वैसे तो सोमवार को जिला परिवहन अधिकारी मौजूद नही थे। जब उनसे इस संबंध में बात की तो उनका कहना था कि लोग सीधे आते हैं उनके काम होते हैं। दलालों के पास जाते ही क्यों हैं। हमने थोड़ी दलालों को बिठाल रखा है।
अशोक नगर 24 नवम्बर (अजय शर्मा ) अशोकनगर। जिले में बढ़ती वाहनों की तादात वाहन चालकों और वाहन मालिकों को भारी पड़ रही है। उन्हें वाहनों संबंधी काम काज के लिए परिवहन विभाग में परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है। यहां वाहनों के मालिकों से लेकर वाहन चलाने का शौक रखने वाले युवाओं को सीधे काम करवाने में कई दिक्कतों से गुजरना पड़ रहा है। फिर भी कई दिन बिताने के बाद आखिर काम कराने वाले को निराशा हाथ लगती है। यह परेशानी सिर्फ और सिर्फ इस लिए आती है कि आमजन सीधे काम कराने के लिए पहुंचता है। अगर यही काम दलालों के माध्यम से हो तो न फिर कोई नियम और न कोई दस्तावेज में कमी। काम की गति भी हाथों हाथ होते दिखाई देती है। जिला परिवहन विभाग में पहुंचने वालों की परेशानी सुनने से लगता है कि विभाग में बगैर दलालों के काम नही होते हैं! सोमवार को ऐसी परेशानी से दो चार हो रहे कुछ लोगों ने बताया कि यहां सीधे तौर काम कराने के लिए वह बीते गुरुवार से परेशान हो रहे हैं। जब काम नही हुआ तब आज परेशान होकर दलाल के माध्यम से वाहन चालक का लाइसेंस बनवा पड़ा है। गोलू रघुवंशी नामक युवक ग्राम सोनेरा से आया हुआ था। वह बीते कुछ दिनों से ड्राईवरी लायसेंस के परिवहन विभाग में चक्कर लगा रहा था। जहां उसे विभागीय कर्मचारियों ने हर रोज कोई न कोई खामी आवेदन में बताकर वापस किया जाता रहा। जब परेशानी की हद हो गई तब कहीं सोमवार को हैवी लायसेंस के लिए एक दलाल से 1500 रुपये में बात हुई और दोपहर 3 बजे के बाद लायसेंस बनने की प्रक्रिया चुटकियों में निपट गई। उनका कहना है कि यहां फॉर्म की कमी से लेकर आंखों की जांच सहित लिफापा जैसी कई कमियां बताकर लौटा दिया जाता है। शासन द्वारा परिवहन विभाग में सिंगल बिण्डो के तहत आसान प्रक्रिया परिवहन कार्य में करने का दावा किया जाता है। मगर जिले के परिवहन विभाग में बगैर दलालों के काम करना टेढ़ा काम होता है। यहां कार्यालय के आसपास कई दलाल मौजूद रहते हैं। जिनके माध्यम वाहन चालक लायसेंस, वाहनों संबंधी कार्य आसानी होते हैं।
महंगा पड़ रहा लायसेंस का शौक:
जिले के युवाओं को को वाहन चलाने का लायसेंस बनवाना महंगा पड़ रहा है। यहां परिवहन विभाग के इर्द गिर्द मिलने वाले दलालों के माध्यम से परेशान युवाओं को दलालों की निर्धारित सेवा शुल्क चुकाने के बाद ही लायसेंस बन पा रहे हैं। दलालों ने भी अपनी दरें निर्धारित कर रखी हैं। जिनमें लर्निंग लायसेंस से लेकर, हैवी लायसेंस और वाहन संबंधी कार्यों की राशि जरूरतमंदों से ली जा रही है। परिवहन विभाग में वैसे तो सोमवार को जिला परिवहन अधिकारी मौजूद नही थे। जब उनसे इस संबंध में बात की तो उनका कहना था कि लोग सीधे आते हैं उनके काम होते हैं। दलालों के पास जाते ही क्यों हैं। हमने थोड़ी दलालों को बिठाल रखा है।