ग्वालियर। १९अक्तुबर [सीएनआई] नगर के बीचों-बीच तानसेन रोड़ औद्योगिक क्षेत्र मौजा गोसपुरा की 16 बीघा जमींन द कोल्ड स्टोरेज एण्ड जनरल मिल्स को आलू की उन्नत किस्म की खेती और कोल्ड स्टोरेज के लिये निःषुल्क दी गई थी। कंपनी को कर में राहत सहित अन्य सुविधाएं दी गई थीं। हालांकि शासन ने इस पर पट्टा कभी जारी नहीं किया। कंपनी के एमडी जीएस डाबर ने इस जमींन पर मालिका हक जताते हुये, खुद को भूस्वामी घोषित होने की मांग की थी। इस बिवादित जमींन से अफसरों ने कभी कोई कर नहीं बसूला। म.प्र. शासन जिला उद्योग एवं व्यापार केन्द्र द्वारा 1 जून 2006 को वादी कंपनी को जमींन का किराया जमा करने के संबंध में नोटिस की याद आई। अतिरिक्त जिला न्यायाधीष देवराज बौहरे की कोर्ट ने इस मामले में अफसरों से लेकर सरकार तक को कटघरे में खड़ा कर दिया। साथ ही सरकारी जमींन पर मालिका हक का दावा कर रही कंपनी का वाद भी खारिज कर दिया। मामले को लेकर सरकारी अधिकारी, कर्मचारियों के रवैये पर कोर्ट ने गंभीर सवाल खड़े किये हैं। न्यायाधीष श्री बोहरे ने कहा कि जिस प्रकार दस्तावेजों की त्रुटिपूर्ण व्याख्या कर बिवाद की स्थिति निर्मित की गई तथा सरकार का पक्ष रखने में लापरवाही की गई वह खेद जनक है। सरकार के प्रतिनिधियों ने कुछ और नहीं बल्कि वादी के वाद को सफल बनाने का प्रयास किया।
सुप्रीमकोर्ट भी लगा चुका फटकार – सुप्रीमकोर्ट जमींन संबंधी मामलों में 6 माह पूर्व राज्य सरकार को ग्वालियर के जमींन संबंधी बिवाद लक्ष्मी बाई कॉलौनी के सर्वे क्रमांक 853 के मामले में लगा चुका है। इस मामले में प्रदेष सरकार ने जानबूझकर 646 दिन के असामान्य बिलम्ब से याचिका दाखिल की थी, शासन के बिलम्ब के कारण सुप्रीमकोर्ट में बिना लड़े ही सरकार हार गई थी।
ग्वालियर। १९अक्तुबर [सीएनआई] नगर के बीचों-बीच तानसेन रोड़ औद्योगिक क्षेत्र मौजा गोसपुरा की 16 बीघा जमींन द कोल्ड स्टोरेज एण्ड जनरल मिल्स को आलू की उन्नत किस्म की खेती और कोल्ड स्टोरेज के लिये निःषुल्क दी गई थी। कंपनी को कर में राहत सहित अन्य सुविधाएं दी गई थीं। हालांकि शासन ने इस पर पट्टा कभी जारी नहीं किया। कंपनी के एमडी जीएस डाबर ने इस जमींन पर मालिका हक जताते हुये, खुद को भूस्वामी घोषित होने की मांग की थी। इस बिवादित जमींन से अफसरों ने कभी कोई कर नहीं बसूला। म.प्र. शासन जिला उद्योग एवं व्यापार केन्द्र द्वारा 1 जून 2006 को वादी कंपनी को जमींन का किराया जमा करने के संबंध में नोटिस की याद आई। अतिरिक्त जिला न्यायाधीष देवराज बौहरे की कोर्ट ने इस मामले में अफसरों से लेकर सरकार तक को कटघरे में खड़ा कर दिया। साथ ही सरकारी जमींन पर मालिका हक का दावा कर रही कंपनी का वाद भी खारिज कर दिया। मामले को लेकर सरकारी अधिकारी, कर्मचारियों के रवैये पर कोर्ट ने गंभीर सवाल खड़े किये हैं। न्यायाधीष श्री बोहरे ने कहा कि जिस प्रकार दस्तावेजों की त्रुटिपूर्ण व्याख्या कर बिवाद की स्थिति निर्मित की गई तथा सरकार का पक्ष रखने में लापरवाही की गई वह खेद जनक है। सरकार के प्रतिनिधियों ने कुछ और नहीं बल्कि वादी के वाद को सफल बनाने का प्रयास किया।
सुप्रीमकोर्ट भी लगा चुका फटकार – सुप्रीमकोर्ट जमींन संबंधी मामलों में 6 माह पूर्व राज्य सरकार को ग्वालियर के जमींन संबंधी बिवाद लक्ष्मी बाई कॉलौनी के सर्वे क्रमांक 853 के मामले में लगा चुका है। इस मामले में प्रदेष सरकार ने जानबूझकर 646 दिन के असामान्य बिलम्ब से याचिका दाखिल की थी, शासन के बिलम्ब के कारण सुप्रीमकोर्ट में बिना लड़े ही सरकार हार गई थी।